रेगिस्तान में तेल निकलने के बाद समृद्धि; 12 साल में बॉर्डर पर 10 गुना बढ़े जमीन के दाम, खेती का रकबा लगभग दोगुना हुआ

थार के रेगिस्तान में डेढ़ दशक पहले तेल की धार निकलने के बाद समृद्धि ने यहां पंख फैला लिए। पहले सिर्फ कुछ हिस्से में खेती होती थी...मगर पिछले 12 साल में न सिर्फ खेती का रकबा लगभग दोगुना हो गया है, बल्कि जमीन के भाव तो 10 गुना से ज्यादा बढ़ गए हैं। 2004 में जहां जमीन के दाम 1.50 लाख रुपए बीघा तक थे, वो 2009 में 20 से 25 लाख रुपए बीघा तक पहुंच गए। अब मंदी के दौर में भी यहां जमीन 7 से 10 लाख रुपए बीघा तक बिक रही है। इस समृद्धि के पीछे तेल के साथ ही बाड़मेर में मिले लिग्नाइट के भंडार का भी बड़ा हाथ है।


तेल व लिग्नाइट के लिए 4500 बीघा जमीन अवाप्त हुई


तेल व लिग्नाइट मिलने के बाद केयर्न एनर्जी के लिए 2 हजार बीघा और जेएसडबल्यू के लिए 2500 बीघा जमीन 500 किसानों से अवाप्त की गई। इस दौरान 11 से 25 लाख रुपए प्रति बीघा की दर से मुआवजा दिया गया। किसानों को कम से कम 80 लाख रुपए और ज्यादा से ज्यादा 3.50 करोड़ तक मुआवजा मिला।


यूं बढ़ी सरहद पर खेती
तेल एक दशक पहले बाड़मेर में खेती का कुल रकबा 10 लाख हेक्टेयर तक ही था। अब करीब 19 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल में खेती हो रही है। गंगानगर की तरह बॉर्डर तक ईसबगोल और जीरा की खेती हो रही है।


तेल और खनिज भंडार से उद्योग लगे...रोजगार बढ़े, बढ़ गए जमीनों के दाम
मंगला, भाग्यम और ऐश्वर्या तेल क्षेत्र राजस्थान की जीडीपी में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। जबकि बाड़मेर में सालाना प्रदेश में सबसे ज्यादा 67 लाख मीट्रिक टन लिग्नाइट उत्पादन हो रहा है। 13 अरब का कारोबार हो रहा है। इसकी वजह से इस इलाके में ट्रांसपोर्ट, होटल, सिक्योरिटी जैसे नए उद्योग पनपे और रोजगार पैदा हुए। इन उद्योगों की वजह से यहां नई आबादी बसी और इसकी वजह से ही प्रॉपर्टी की कीमतों में भी उछाल आया।


तेल मिलने के बाद जमीनों के दाम बढ़े: एक्सपर्ट


रियल एस्टेट एक्सपर्ट विनायक जोशी ने बताया कि बाड़मेर में तेल-गैस की खोज के बाद जमीनों के दामों में 10 गुना से ज्यादा बूम आ गया। अब दाम स्थिर हो गए है। बावजूद इसके प्राइम लोकेशन पर अब भी 50 से 70 लाख रुपए प्रति बीघा तक जमीन बिक रही हैं। अब पचपदरा में रिफाइनरी का काम शुरू होने और भारतमाला के दो प्रोजेक्ट आने के बाद फिर से जमीनों के दामों में तेजी आने लगी हैं।